03
November 2014
22:53
-इंदु बाला
सिंह
जिसने अपमान
झेला नहीं
वह क्या
पहचानेगा
मान की कीमत
जिसने पैसा
कमाया नहीं
वह क्या
समझेगा
पैसों का मोल
उपहार पर
टिका जीवन
बस बीत जाता
है
यूं ही
अपना
नसीब .....अपना नसीब ....का
गुण गाते
हुये
पर
जो जिगर
समझौतों संग
स्वाभिमान की
आग से दमकता है
वह
किसी को
पुकारता नहीं
वह अपनी राह
खुद बनाता है .......
जिसे चाह है
रोशनी की
वह
उसके पीछे
पीछे चलता है
और
उसकी रोशनी से
बहुत से चाँद
दमकते हैं |
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