शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

रंग बिरंगा स्कार्फ


08 November 2014
07:54
-इंदु बाला सिंह

अपनी लोहे की आलमारी से
निकाल  लिये थे
मैंने
कुछ छोटे छोटे यादों के स्वेटर
नयी पौध को
पुरानी चीज बोझिल लगती है
सो
खोल दिये
मैंने वे पुराने स्वेटर
बुनने लगी एक रंग बिरंगी शाल
क्रोशिये से
क्योंकि किसीने चुरा ली थी
मेरी शाल
सोंचा था पूरी हो जायेगी शाल
क्रोशिये की बुनाई बड़ी तेज होती है
पर
सब स्वेटर खुल गये
और
पूरी न बन पायी शाल
तो
मैंने उस बुने शाल को बना लिया स्कार्फ
कान और गला ढंक जाता है
अब इस रंग बिरंगे खुबसुरत स्कार्फ से
और
हर रंग का उन याद दिलाता है
मुझे
उस छोटे स्वेटर की
ढेर सारी मुस्कानों की |

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