रविवार, 23 नवंबर 2014

शहर हुआ बंद और खुली गठरी


22 November 2014
07:05
इंदु बाला सिंह

लो जी
हो गया है ...
आज शहर बंद
छात्र खुश हैं
मस्त हैं
अपने घरों में
और
खुल गयी छूटे कामों की गठरी
अध्यापिका जी की .....
चलूं मार्निंग वाक कर लूं
अलमारी की किताबें सजा लूं
डायरी के पन्ने पलट लूं
मुंह फेरे रिश्तों को धकेल दूं
कमरे का झाला साफ़ करूंगी तो मन भी तो साफ़ हो जाएगा न
और
चाय की सिप के संग दुनिया भी जी लूं
लो भई
अब तो रोशनी प्रखर हो गयी
देखूं अब घर का हाल
प्रश्न पत्र तैयार होगा दुपहरिया को |

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