शनिवार, 15 नवंबर 2014

मुट्ठी में सूरज


15 November 2014
07:20
-इंदु बाला सिंह

हम बच्चे
अपने घर की आशा
और 
धरती के सूरज हैं
हम जब जागेंगे 
तब
होगा सबेरा 
ढंक लें
चाहे कितने बादल
हम
जब खोलेंगे मुट्ठी 
तब चमक जायेगी 
हमारी अंधियारी धरती
ऐसा है
विश्वास हमारा
हम हैं तो जहां है |

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