19
November 2014
07:46
-इंदु बाला
सिंह
उस बिटिया पे
क्या नाज
करूं मैं
जिसे
समय ने
बनाया वीरांगना
अरे
!
दम है
तो
बढ़ आगे
ओ री बिटिया !
लपक ले मुट्ठी
में समय
आज तू
कि
धरती करवट बदल
रही है
और
पौ फट रही है
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