23
November 2014
10:03
-इंदु बाला
सिंह
कम्प्यूटर
जी !
तुमको
जाड़े की धूप
क्यों नहीं भाती जी !
बड़ा मन करता
मेरा
लिखने को
चिट्ठी दोस्त को
और
भेजना चाहूं
उसे मेल में
बैठ के धूप
में
पर
तुम झट छुप
जाते अंधेरे में
जो भी लिखता
मैं
नहीं दिखता है
मुझे
अब तुम ही
बताओ मैं क्या करूं |
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