04
November 2014
18:48
-इंदु बाला
सिंह
जगमग सड़क पर
रात में
जब चलते
चलते
विचारों के
बीज पनपने लगते हैं
तब
लहलहा उठती
है
भावों की बेल
डर न लगता
कभी हमें
इस अकेलेपन में भी
क्योंकि
हमारे साथ
चलता है
सदा ही
हमारा वर्तमान
अगल बगल
प्रकशित रहते
विशालकाय
मंजिलों वाले मकान
पर
खिडकियां
अंधियारे में
डूबी रहतीं
तब
हमारे मजबूत
पांव
मनोबल बढ़ाते
हमारा
और
बगल से गुजरती
पुलिस की लाल
बत्ती गाड़ी
सुरक्षा का
अहसास दिला जाती हमें
कितना अच्छा
लगता
जब सब अपने घर
में हों
मोटरसाइकिल पे
चेन स्नैचर से चौकस रहने को कहते हों कामवाले
तब
रात में
चलना
बस चलते ही
जाना
मन के विश्वास
संग आगे बढ़ते जाना
शांत कर देता
है मन
और चेतना
संस्मरण की डायरी से निकाल लाती है
कुछ पल
तब यों लगता
है मानो
हमें
जीने का कारण
मिल गया |
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