17
November 2014
07:14
-इंदु बाला सिंह
जाड़े की सुबह
गर्मा जाती है सड़क ......
ट्राउजर और टी शर्ट में दौड़ती
युवती ने
सामने से आते युवा को कहा .....
नमस्ते भैय्या !
और
अपनी बगल की बुजुर्ग महिला को
धक्का देते हुये
बढ़ गयी आगे
उस बुजुर्ग महिला ने
खुद को बचा लिया गिरने से .....
इस दृश्य का
कोई असर न पड़ा
सामने से आते चार पुरुष बुजुर्गों पर
वैसे
हम ट्रैफिक रूल तो
याद रखते हैं
अपनी सुविधा के लिये
लेकिन दूसरी तरफ
पार्क की पुरुष बपौती को तोड़ रहा था
एक युवा दुबला पतला जोड़ा
जो दौड़ रहा था
बराबरी में
एक दुसरे की गति में संतुलन बनाते हुये
और
पाठ पढ़ा रहा था
स्त्री पुरुष की समानता का ........
ताकत का
ओ वक्त !
तू बड़ा क्रूर शिक्षक है
पीट पीट कर पढ़ाने लगता है पाठ
हमें भोर भोर |
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