शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

कड़वी सुबह


07 November 2014
11:16
-इंदु बाला सिंह

धमकी दे रही थी
झगड़ रही थी
दूर किसी घर में
एक कामवाली
सुबह कड़ुआ रही थी
हम नहीं आयें
इनके घर
तब न पता चले हमारी कीमत
इन नये पैसेवालों को ....
हमारी जमीन गयी
जंगल गया
मजदूर बन गये हम
जब मन करता है रख लेते हैं
और
जब चाहे निकाल देते हैं
मैं देखूंगी
कौन आयेगा तेरे घर काम करने .......
और
दुखी हुआ मेरा जी
काश मैं बुद्धिजीवी न होती
मैं भी धमकी दे पाती
अपने घर में
आफिस में
जय हो कामवाली तेरी  |

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