17
November 2014
12:50
-इंदु बाला
सिंह
हवा है मन
बिन टिकट
उड़ता
हवाई जहाज
में
खेलता
छुप्पा
छुप्पी बादल संग आसमान में
दिन
में बनता इन्द्रधनुष
और
रात में
ध्रुवतारा
आशा
की पतंग उड़ाता
कभी दुर्लभ
पंछी बन जाता
तो
कभी सुनहरी
मछली
ओ
रे मन !
तेरे
कितने रंग ?
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