14
November 2014
14:38
-इंदु बाला
सिंह
हैरान परेशान
निश्छल छात्र मन
खेल के मैदान
में
खड़ा
सोंच रहा था
आज
घर में
पल पल झूठ
बोलती माँ
कामवाली
और पड़ोसी आंटी से
और
स्कूल में
शिक्षक
परीक्षा के प्रश्न बता देते
अपने प्रिय
छात्र को
तो
क्यों पढ़ातीं
शिक्षिकायें .......
सत्य बोलो ,
क्रोध बुरी बात है
क्या ये
अध्यापिकायें
अपने घर में
मेरी माँ की
तरह गुस्सा नहीं होतीं ?
झूठ नहीं
बोलती ?
छात्र का मन
धीरे धीरे
चिकना घड़ा बन रहा था ........
और
उसकी
सारी पढाई
फिसलने लगी थी |
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