रविवार, 30 नवंबर 2014

मन के पंख भींग गये


30 November 2014
20:02
-इंदु बाला सिंह

बुद्धि सोयी थी
मन टहल रहा था
रात में
और
मिल गयी थी
एक पुरानी परिचित
चहक कर पूछ लिया उसने
सुना है आप कहानी लिखती हैं
भगवान की कहानी लिखती हैं क्या ?...
अरे नहीं ..ऐसे ही कुछ कुछ ..
पर
मन के पंख भींग गये
और
काफी दिनों तक भींगे रहे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें