10
November 2014
11:55
-इंदु बाला
सिंह
आंच
में तप कर लौह बना
हर चिंतक
अमूल्य निधी
है हमारी
आओ
हम सम्मान
करें उनकी
दबायें न हम इन चिंगारियों को
विचार बहते
हैं
नदियों सरीखे
पोषण करते हैं
कितने घर
और
मिलते हैं
सम्मानपूर्वक
हमारे ही जन्मदाता समुद्र से |
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