मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

दिये की लौ


24 September 2014
08:17
इंदु बाला सिंह

श्राद्ध का हो
या
दिवाली का
दिया तो
दिया ही है
सोंच में क्यूं ?
दिये की लौ
सदा राह दिखाती 
हर भटके मुसाफिर को |

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