11
October 2014
07:07
-इंदु बाला
सिंह
मन की हवा
काली होते ही
हमारी
भीतरी उर्जा
में कमी होने लगती है
हम
अपना
शुद्धिकरण न कर
ग्रहण करते
हैं उर्जा
बाहर से
पर
देखते ही
देखते
हम
मशीन बन जाते
हैं
और
तब तक चलते
रहते हैं
जब तक
सांसों
का मोबिल है |
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