शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014

संस्कार के रूपये


28 October 2014
08:10
-इंदु बाला सिंह

मौत ही मुक्ति है
मान उस योद्धा ने
लड़ ली अपनी लड़ाई
अपनों से
वह
रखा रहता था
अपने संस्कार के रूपये
सदा अपनी जेब में
क्योंकि 
वह
अहसान नहीं लेना चाहता था
किसी का
पर
जाते वक्त उसकी आंखे
न जाने किसका इन्तजार कर रही थीं
लोग
कहते हैं
उसके प्राण निकले होंगे

आँखों की राह से |

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