बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

तटीय निवासी


12 October 2014
23:28
-इंदु बाला सिंह

हुदहुद
फयलिन
सुनामी ......
अनगिनत तूफान आते हैं
बहा ले जाते हैं घर , सामान , मवेशी
जान बचा के भागते हैं
समुद्र तट के निवासी
कुछ लोग अपनों के घर शरण लेते हैं
तो
कुछ लोग सरकार द्वारा ले जाये जाते है
सुरक्षित स्थानों पे
साथ में रहता हैं उनकी गठरी में बंधा चूड़ा , माचिस , मोमबती
साथ में वे ले जाते हैं अपना रेडियो
यही रेडियो
घर से बिछड़ों को जोड़ता है
अपनों से
मोबाईल की बैटरी तो
एक दिन में ही साथ छोड़ देती है
दान के कपड़े , खाने के पैकेट
सहायक पुलिस कर्मी
स्वयंसेवी कार्यकर्ता लग जाते हैं सहायता में
पानी लौटने पर
वापस लौटते हैं तटीय निवासी
और शुरू होता है
मुआवजा का काम
पर
हर वर्ष की यह प्राकृतिक आपदा
निवासियों के मन पर
अमिट छाप छोड़ती है
टूटे घर को
फिर से बसाने का दर्द सह सह कर
क्रूर बन जाते हैं निवासी
हर बाढ़ के बाद
पास के शहरों में निस्तेज भूखे प्यासे लोग
बसों से उतरते हुये दिखते हैं
और
शहर डर जाता है
कंगलों से
क्योंकि
इसी समय चोरियां बढ़ जाती हैं |



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें