24
October 2014
23:34
-इंदु बाला
सिंह
आदमी भी
क्या चीज है
जब तक दम है
बुनता है
वह
जाल
फिर काट के
अपना ही बुना
जाल
उड़ जाता है
उपर न जाने
किस जहां में
चुपचाप पंख
पसार
कहीं कोई
हलचल नहीं
बस
कर्मकांड
चाहिये
जीते जी
पहचाने नहीं
जिन्हें
उनके
लिये
पिंडदान किये
इतना भी क्या
डर उनसे
जो चला गया
यहां से |
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