मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

अद्भुत प्यास


21 September 2014
18:35
-इंदु बाला सिंह

ये कैसी अद्भुत प्यास लिये आते हैं हम
तेरा घर सजाते
बसाते
तेरी बाँहों में मुस्काते
गुजर जाते हैं हम
मन में
अपने इक घर की आस लिये |

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