05
October 2014
08:25
-इंदु बाला
सिंह
बचपन से ही
संस्कार
और
कर्मकांड का
ज्ञान बघारते बघारते
श्राद्ध करते
करते
कब
उनका श्राद्ध
हो जाता
वे जान न
पातीं
ये
अजनबी छायाएं
वृन्दावन
और
काशी कब बना
लेती
आधी आबादी को
पता ही नहीं
चलता
कोई भी न जान
पाता यह खबर
वैसे
किसी को
सुनने
और
पहचानने की
फुर्सत नहीं है
हमारे पास |
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