10
October 2014
07:06
-इंदु बाला
सिंह
अपनों के
लिये
जीते समय
हम खुद भी तो
जी लेते हैं
आखिर
एक उद्देश्य
ले के जीते हैं हम
वरना
जो
खुद के लिये जिया
वो
क्या जिया
आजीवन हरी घास
की तलाश में
भटकता ही रहा
भागता ही रहा
अपनों के वजूद
से
और
खुद को छलता
रहा
अपनी तुष्टि
के लिये |
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