शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014

पिता की बेटी


28 October 2014
08:55
-इंदु बाला सिंह

जयचंद को कोसनेवालों ने
पिता का दिल न देखा
सयोगिता का अंत वे भूल गये
कितनी संयोगितायें  आज गुम है
क्यों याद रखें हम
हम तो
जन्माते ही नहीं संयोगितायें |

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