04
October 2014
23:14
-इंदु बाला
सिंह
हमारी
बचपन की
साथिन नैतिकता
कभी न साथ
छोड़ती
हमारा
हम दुखी हों
या
दिग्भ्रमित
खींच कर
हमारी बांह
पार करा ही
देती
वे अंधियारे
पल
वह
कभी
लड़खड़ाने न
देती हमें
सड़क
पे |
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