बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

लेखनी रहेगी


02 October 2014
15:35
-इंदु बाला सिंह

लेखक की
कलम की धार
तलवार से भी तेज है
तीखी है
हम रहें न रहें
पर
हमारी लेखनी रहेगी सदा
हर पाठक
याद रखेगा
कि
रोटी और छत पर उसका हक है |

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