17
October 2014
21:18
-इंदु बाला
सिंह
ट्रेन की
खिड़की से
दूर रोशनी से
जगमगाती सड़क दिखा कर
एक दिन
उसने
मुझसे खुश हो के कहा था ..........
वो देखो
वह सड़क मेरी
बनायी हुयी है
और
सड़क
जब पास आयी
तब
कौतुक
पूर्ण नेत्रों से देख के
सड़क को
सोंचा
था मैंने ........
ओह
!
तो
इस सड़क को
बनानेवाला
मेरे बगल में
बैठा है |
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