24
October 2014
07:14
-इंदु बाला
सिंह
बुद्धिजीवी
पिता
का खत
पढ़
खूब हंसे थे ससुराल में ......
हा हा हा
तुम अपना
ख्याल रखना
पत्नी
घर में तीसरे
दर्जे की इंसान होती है
और
जब
वह अभाव ,
मनोबल व बुद्धि के बल पर
बन चुकी
प्रथम दर्जे
की इंसान
तब
पाया उसने
कि
वह
अपने
बुद्धिजीवी पिता की
पैतृक
सम्पत्ति की भी हकदार न थी
कितना
उपहासास्पद होता है
अपनों से लड़ना
यही
वह बिंदु होता
है
जब मनोबल की परीक्षा होती है
जिस परीक्षा
में
हारती रही है
हर बहन |
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