25
September 2014
11:56
-इंदु बाला
सिंह
मोह की डोर
लपेटी लटई
से
बंध उड़ते
कभी कभी हम
प्रकाशित पतंग से
आकाश में
लटई थमा के
मजबूत हाथों
में
पिता , माता ,
पुत्र या पुत्री के
पढ़ा था हमने
अपने विद्यालय
में
कि
कटी पतंग सदा
लुट जाती जग में |
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