मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

उड़े पतंग


25 September 2014
11:56
-इंदु बाला सिंह


मोह की डोर लपेटी लटई
से बंध उड़ते
कभी कभी हम प्रकाशित पतंग से
आकाश में
लटई थमा के
मजबूत हाथों में
पिता , माता , पुत्र या पुत्री के
पढ़ा था हमने
अपने विद्यालय में
कि
कटी पतंग सदा लुट जाती जग में |

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