शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

सड़क बन रही है


17 October 2014
11:39
-इंदु बाला सिंह

मुट्ठी भर मर्द
सडक के किनारे निकली झाडियां साफ़ कर रहे हैं
और
दुबली पतली काली काली
अनगिनत लडकियां , औरतें
जरीदार साड़ियों में
जरीदार कमीज के संग जींस में
जूझी हैं
तीनों ऊंचे ऊंचे
सीमेंट , बालू और गिट्टियों के
ढेर से
उठा रहीं हैं बेलचों से
वे
बड़े तसलों में 
बालू
सीमेंट
गिट्टी
अपने सिर पे
और झोंक रहीं हैं मिक्सर में
मिक्सर से निकला मसला
डाल रहीं सड़क पे
पर
मिक्सर को चलनेवाला मर्द
डाल रहा है बगल में रखे ड्रम से पानी
कितनी
खुबसूरत
मजबूत सी सड़क बन रही है
जिस पर दौड़ेंगी
फर्राटे से
खुबसूरत कारें
कौन कहता है
मार दी जाती हैं
लडकियां
लडकियां हैं
तभी तो
बनती है सड़कें
पैदा होती हैं
रेजागण |






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