28
October 2014
19:08
-इंदु बाला
सिंह
न जाने कैसे
पहुंच जाते
हैं लोग विदेश
और
स्वदेश व
विदेश में खरीदते हैं मकान
कितना आसान
होता है
धन कमाना
विदेशों में
सोंच सोंच
हैरान हूं मैं
इतना ही नहीं
जब लौटते हैं
स्वदेश वे
नर्क बनाते हैं
अपनों का जीवन
कौन कहता है
कर्मफल मिलता
है
और
धन कमाना कठिन
है
जिसके पास
कलेजा है
वही दबंग है
बाकी लोग
बस नैतिकता का
ढोल
बजाते ही
रह जाते हैं |