सोमवार, 1 दिसंबर 2014

अद्भुत साधक


01 December 2014
14:14
-इंदु बाला सिंह

साधते रहे हरदम
हम
आजीवन
वीणा के तारों को
एक रिश्ता कसा
तो दूसरा ढीला हो जाता कुछ पल में
साधते रहे
रात में छेड़ते रहे रागिनी हम
बस चाँद सुनता रहा हमें
हो मौन
अद्भुत साधक थे ............
अद्भुत संसारी थे

हम |

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