27
December 2014
17:16
-इंदु बाला
सिंह
मन
जब जब हारता
था
तब तब
पुकारता था
उस विराट
ज्योतिर्पुंज को
जिसने रचना
की थी
उसकी
........
क्या नाम दूं
बड़े फेर में
हूं
अब ऐसे मन को
जो अंधियारे
पल में भी
ज्योतिर्मय हो
उठता था
उस
सृष्टिकर्ता के प्रकाश से |
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