गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

जीत अवश्यम्भावी है


29 November 2014
07:35
-इंदु बाला सिंह

न छोडूं
तेरी लगाम......
खींचूं.....
और कस के खींचूं मैं
ओ भाग्य के काल्पनिक घोड़े के जन्मदाता !
हर बार चुभाऊं मैं तुझे कील
और
दौड़ाऊँ तुझे
कि
इतना जान ले
रण में
लिंग नहीं
मनोबल जीतता है ........
और
हर हार के बाद
जीत अवश्यम्भावी होती है |




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