29
November 2014
07:35
-इंदु बाला
सिंह
न
छोडूं
तेरी
लगाम......
खींचूं.....
और कस के
खींचूं मैं
ओ भाग्य के
काल्पनिक घोड़े के जन्मदाता !
हर बार चुभाऊं
मैं तुझे कील
और
दौड़ाऊँ तुझे
कि
इतना जान ले
रण में
लिंग नहीं
मनोबल जीतता
है ........
और
हर हार के बाद
जीत
अवश्यम्भावी होती है |
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