10
December 2014
10:50
-इंदु बाला
सिंह
घर का मर्द
क्या गुजरा
फाटक खुल गया
हर रोज दिन
में औरतें घुस रहीं थीं सागर सरीखी
उस मर्द की
श्रीमती से जुड़ती जा रहीं थीं
और अब धीरे
धीरे
घर में सागर
का पानी प्रवेश कर रहा था ........
चित्रलखित सी
मैं देख रही
थी इस समूह को
असहाय मन पानी
की लहरों से बचता फिर रहा था
पर आखिर कब तक
!
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