31
December 2014
21:20
-इंदु बाला
सिंह
उसे विश्वास
था
यों कहिये
पूरा विश्वास था
इस वर्ष उसे अपने हिस्से की धूप मिल कर रहेगी
वह अपनी धूप
में अपने कपड़े सुखा पायेगा
और
जाड़े की
गुनगुनी धूप का आनंद उठा पायेगा
उसे
अपने कर्म की
ऊर्जा पर
पूर्ण विश्वास
था
अतः
खुशनुमा ख्वाब
में डूबी
अहसानमन्द
भींगी सपनीली आँखों से
उसने
दो हजार चौदह
को अलविदा कर दिया |
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