24
December 2014
11:00
-इंदु बाला
सिंह
ओह
रे जवान !
कैसी मौत मरा
तू !
बीमार हुआ ...
छुट्टी मिली
आसानी से
और
घर भागा तू
अपने घर ..........
प्रेम बीमारी
का इलाज नहीं है
डाक्टर जरूरी
है
और
पहुंचा जवान
घर से दूर एक सरकारी अस्पताल
पर बेड न मिला
तुझे ........
चटाई पर सोया
तू
तेरा जांडिस
बिगड़ा ........
कल्याण निधि
से इलाज के लिये
मिले दस हजार
से भी न बच पाया तू
प्राइवेट
अस्पताल का आई० सी० यु ० में भी !
ओ रे पच्चीस
वर्षीय सिपाही ............
किसे दोष दूं
मैं !
एक परिवार की
आशा का दीप बुझ गया ....
पढ़ कर खबर आज
अखबार में
भींज गया मन
........
ओ सम्पादक !
खुशी की खबरें
क्यों नहीं छापते तुम |
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