28
November 2014
07:32
-इंदु बाला
सिंह
भाग्य
के गांव बसनेवालो !
पौ फटते ही
बज जाता है
बिगुल
क्षत्रिय
जन्मते हैं रौंदने भाग्य
और
रौंदते हैं
सीना दुश्मन का
हर भोर
जनमता है
क्षत्रिय
हर रात मरता
है वह
लिंगभेद
न जानूं मैं
सुन प्यारे
जीवन है युद्ध
बस इतना जान
ले
कि
जो लड़ा नहीं
वह जिया नहीं
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