18
December 2014
17:13
-इंदु बाला
सिंह
इतने
ऊपर तुम बस गये भगवन !
कैसे पहुंचुं
तुम तक भगवन
मैं तो एक आम
इन्सान
तेरे नाम की
माला जप जप ... मुझे डराते तेरे पैसेवाले
भक्तगण
मैंने तो कर्म
को धर्म समझा
बोल जरा
मैंने क्या
गलत किया
तुम मूरत में
ही बसते क्या ?
तेरे पूजक हैं
मुझे छलते
कैसे माफ़ करूं
मैं
उन अपनों को
जिसने छला
मुझे .......
जिनके कारण
कितना कुछ खोया मैंने .....
जिन्होंने
धमकाया मुझे ........
तुझ पर छोड़ा
अब
ओ रे वक्त !
मुझमें तो अब
दम नहीं |
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