शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

आने तो दो गर्मी का मौसम


20 December 2014
09:36
-इंदु बाला सिंह

तुम आये
मुसकाये
खिल उठी
दिल की बगिया मेरी
हुआ सबेरा .....
मेरा मन बोला |
बुद्धि बोली ........
ओफ्फ !
फेंकना रजाई
अभी तो जाड़े का मौसम है ........
आने तो दे
गर्मी की सुबह
फिर चलेंगे हम घुमने
मुंह अंधेरे
और
मन ने मान ली बात
दुबक गया फिर से
रजाई में |

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