12
December 2014
12:49
-इन्दु बाला
सिंह
इतना
भी न उड़ाओ मजाक
हमारी
गरीबी का यारो !
हमें नहीं
बदलनी अपनी जाति या धर्म ........
माना
उद्योगपति नहीं हैं हम
तो क्या
श्रमजीवी हैं
हम
हमसे ही बैंक
करते कमाई
दे
कर हमें कर्ज |
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