06
December 2014
22:47
-इंदु बाला
सिंह
वह सड़क का
दुबला पतला कुत्ता था
विशालकाय
मकान के अंदर मोटा ताजा कुत्ता रहता था
मकान से जब बाहर
निकलता था मोटा कुत्ता
घर के नौकर के
साथ
तब
भोंकता था सड़क का कुत्ता
उसे देख के
भोंकता था सड़क का कुत्ता
उसे देख के
सड़क पर चलना
दुश्वार था मोटे कुत्ते को
हार कर
नौकर रोज रात
को रोटी फेंकने लगा सड़क के कुत्ते की ओर
और
अब सड़क का
कुत्ता शांत हो गया है
रात भर
विशालकाय गेट की सीढ़ी पर बैठा रहता है
किसी को मकान
के अंदर जाने नहीं देता है |
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