रविवार, 21 दिसंबर 2014

उस वर्ष शीत लहर चली थी


20 December 2014
07:25
-इंदु बाला सिंह

अनाथ ही सही मैं ......
खुश रह तू
सजाती रह
अपने पुत्र का घर ........
और 
एक दिन
उसने पिंडदान कर दिया था
उस अपने का ........
उस वर्ष तेज शीत लहर चली थी .......
माओं ने
अपने बच्चे दुबका लिये थे
अपने सीने में ...........
मर्द पाकेट में हाथ डाल चहलकदमी कर रहे थे
अपने बेडरूम में |

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