13
December 2014
09:33
-इंदु बाला
सिंह
पहचाने न
हमें
जो अपने
कहने
को तो हम उन्हें भूल चले
पर
आ जाते हैं
वे अब भी पास हमारे
हमें देख के
अकेले
सो हमनें
आंखें बंद कर
ली अपनी
और
उनकी
उपस्थिति हम भूल चले
अपनी बनाई
दुनियां में
बस
नित चलते रहे .........
ख्वाब
गढ़ते रहे .........
बिना फल की
आशा में
हम
बीज बोते रहे |
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