गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

मन ही जीवन


24 November 2014
19:18
-इंदु बाला सिंह

माना तुम सही हो
ओ बुद्धि तुम
पर
हम थक चुके सुन सुन
तुम्हारी नसीहतें
क्या दिया है हमें तुमने अब तक
अब तो
हम 
जीते मरते
अपने मन के संग
फिर मिलेंगे
तुमसे
ओ नसीहत देनेवाले !
अभी
तुम सो जाओ |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें