01
January 2015
08:18
-इंदु बाला
सिंह
विदा हुआ
वर्ष
बदली
छायी थी
कल गमगीन था
आकाश ......
पर
आज खिला है
आकाश
गुनगुनी धूप
निकली है मेरे शहर में
प्रसन्नचित्त
है मन
और
रोमांचित है
तन
देखो आया है
नया साल
हमारे घर में
यारो !
अब हम खोलें
तोहफे अपने
अपने
देखें
क्या दी थी
सौगात हमें
जाते
हुये
बीते वर्ष ने
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