शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

हम इतने स्वार्थी क्यों ?


26 December 2014
18:28
-इंदु बाला सिंह

बेटा कितना भी बड़ा हो जाये
माँ के सामने
छोटा ही रहता .........
कह के तूने
मूरख धनी माँ का दिल तो जीत लिया
पर
मैं पढ़ सकती
तेरा मन ...............
काश तू वही वाक्य अपने पिता को कहा होता
तो
पिता का सीना उस समय गर्व से फूल गया होता ..........
याद है मुझे आज भी वह वाक्य
जब तूने गर्व से कहा था ........
मैं अपने बाप की नहीं सुनता तो तेरी क्यों सुनूं ?........
आज यह मौसम
मुझे सोंचने को प्रेरित करता ........
हम इतने स्वार्थी क्यों "

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