बुधवार, 24 दिसंबर 2014

चले हम अब



25 December 2014
07:06

-इंदु बाला सिंह

मूल का मोह छूटा
तो
कैसा सूद 
चले हम अब
जिधर राह पहुंचाये
मान के तेरा अहसान
ओ वक्त !
हमने
अपने कदम हैं बढाये |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें