16 August
2014
06:57
-इंदु बाला
सिंह
भोर का सपना
होता है
लक्ष्य
दुनियां को
सुनाये नहीं कि
झूठा हो जाता
है
टूट जाता है
क्यूंकि
दुनियां
हमारी अम्मा
नहीं
जो जीती है
हमारे सपनों
में
यह नसीहत
सुनते ही
मैंने
लिख डाला
सपना अपना
और
बंद कर दिया
उसे
एक
अंधियारी कोठरी में ......
अब मैं
विस्मित हूं
क्यूंकि
जब
रात को
अपनी बालकनी
में
बैठता हूं
मैं
तो
जगमगा जाती है
मेरी बालकनी
मेरे सपने को
रोशनी से
और
हर भोर
मुझे
मुझे वही एक
लक्ष्य दिखता है
सपने में |
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