शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

ए री औरत


14 August 2014
13:15
थक गये हम
अब पक गये हम
तेरी बातें सुन सुन के
री औरत !
कितना झूठ बोलती तू
मिर्च मसाला लगा के सुनाती तू
अपने पुत्र को
किसी भी बात को .....
ए औरत
तेरे पास कोई विषय नहीं क्या
कान पक जाते मेरे
सुन सुन के तेरी बातें
रिश्ता कितना भी नजदीक का हो
पर
कितना मुश्किल लगता
ऐसी औरत के संग जीना
जो
शुरू हो जाती भोर से ही
बजने लगती रेडियो सरीखी तू
और
मैं
परेशान  होती
सुन सुन तेरे झूठ
कैसा होगा वह घर
सोंचुं मैं आज
कहाँ  के हवा पानी में तू बड़ी हुयी |



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