05 August
2014
22:09
-इंदु बाला
सिंह
अनजाने शहर
में
एक परिचित
चेहरा
हमारी पहचान
होता है
और
उस पहचान को
बनाये रखने के लिये
हम कड़ी मेहनत
करते हैं
पर
जड़ों को
सींचना हम भूल जाते हैं
यह भी भूल
जाते हैं
कि
जड़ों से ही
हम टिके हैं धरा पर
फलते फूलते
हैं
झूमते हैं हम
हो निश्च्चिंत |
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