सोमवार, 18 अगस्त 2014

पुस्तक सबसे प्यारा साथी


07 August 2014
20:57
पुस्तक ही साथी
पुस्तक ही सहारा आदमी का
पुस्तक बिना न मिले
कभी आदमी को 
शहर के लुभावने
भवसागर का किनारा
पर
पुस्तक के लिये
निष्ठुर शहर के जी में
जगह नहीं
इतनी कमाई कराती है मॉल
कि
सरकारी लाइब्रेरी किसी कोने में उंघती है |
शहर
बड़ा समझदार है
पैसे  कमवाना  जानता है
पर
उससे समझदार है आदमी
क्योंकि
वह सदा अपने बैग में
एक अच्छा साहित्य रखता है
और
साल में एक बार
सपरिवार  अपनी जड़ों से जुड़
भूला देता  है
शहर की चकाचौंध |
अपने कमाये पैसों से उपजी गर्मी को
वह
अपने बुढ़ापे के लिये
बैंक में रख
भूल जाता है
क्योंकि
पुस्तक ने उसे सदा सिखाया ........

बुढ़ापे के ठंडे दिनों की गर्माहट है पैसे |

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